गीता दर्शन अध्याय-८ भगवान श्री रजनीश
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जब तक अहंकार भीतर है, संसार से कोई मुक्त नहीं होता। कितने ही दूर हो जाए, कितने ही दूर और कितने ही गहन अपने अंधेरे में खो जाए, संसार से उसके संबंध विसर्जित नहीं होते और वह कभी भी वापस लौट आता है। जब तक अहंकार शेष है, जब तक वापसी शेष है, तब तक आदमी वापस लौट आएगा।
-भगवान श्री रजनीश